Basti News: स्वास्थ्य केंद्रों में लापरवाही और भ्रष्टाचार, मरीजों की जान खतरे में

स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी समाज की रीढ़ होती हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां लोगों के पास इलाज के सीमित साधन उपलब्ध हैं। लेकिन जब स्वास्थ्य केंद्र ही लापरवाही और भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाएं, तो मरीजों का भरोसा और उनकी जान दोनों खतरे में पड़ जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के रुधौली और गौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से ऐसी ही चौंकाने वाली घटनाएं सामने आई हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर करती हैं। मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, यहां मरीजों के साथ दुर्व्यवहार और अनियमितताएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
रुधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जो आसपास के दर्जनों गांवों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा का प्रमुख केंद्र है, इन दिनों कर्मचारियों की मनमानी और लापरवाही के कारण चर्चा में है। यहां मरीजों को बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हो रही हैं। कर्मचारी मरीजों की सेवा करने के बजाय अपनी जेब भरने और मनमानी करने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं।
हाल ही में एक गंभीर मामला सामने आया, जहां फार्मासिस्ट ओमप्रकाश मिश्रा ने एक महिला मरीज, पुष्पावती, को छह महीने पहले एक्सपायर हो चुकी दवाएं दे दीं। जब मरीज ने इस लापरवाही पर सवाल उठाए और अपनी जान को खतरे में महसूस किया, तो फार्मासिस्ट ने शर्मिंदगी जताने के बजाय उल्टा धमकी दी। उन्होंने मरीज को "अंदर की दवा" न देने और बाहर से दवा खरीदने की धमकी दी। यह कृत्य न केवल घोर लापरवाही है, बल्कि मरीजों के जीवन के साथ खुला खिलवाड़ है।
यह सवाल भी उठता है कि फार्मासिस्ट को इतना साहस कहां से मिला कि वह अपनी गलती स्वीकार करने के बजाय मरीज को धमकाने की हिम्मत कर सके। क्या यह किसी बड़े रैकेट का हिस्सा है, जहां एक्सपायर्ड दवाओं को जानबूझकर मरीजों को दिया जा रहा है? इस मामले की गहन जांच की आवश्यकता है।
दूसरी ओर, गौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति भी चिंताजनक है। दिन में तो शायद डॉक्टर मिल जाएं, लेकिन रात में यह अस्पताल मरीजों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं। हाल ही में एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल मरीज खून से लथपथ गौर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा, लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण मरीज को समय पर इलाज नहीं मिल सका, और उसे घंटों तड़पना पड़ा।
स्थानीय बीजेपी नेता अमन शुक्ला ने इस दुर्व्यवस्था की पोल खोलते हुए उच्च अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की तैनाती के बावजूद उनकी अनुपस्थिति और कामचोरी मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है। इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) राजीव निगम ने कहा कि प्रकरण उनके संज्ञान में है और वे स्वयं गौर सीएचसी पहुंचकर जांच कर रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच के आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सवाल यह है कि जब सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, तो ये लापरवाहियां क्यों हो रही हैं? क्या कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने का कोई तंत्र नहीं है? मरीजों के साथ इस तरह का व्यवहार और उनकी जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि रुधौली और गौर स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्था में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। एक्सपायर्ड दवाओं के वितरण और डॉक्टरों की अनुपस्थिति जैसे मामलों की गहन जांच हो, और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
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