HCL टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने पिछले तीन महीनों में भारत की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सर्विसेज फर्म के रूप में विप्रो लिमिटेड को पीछे छोड़ दिया है, छः वर्षों में देश की $167 बिलियन सूचना प्रौद्योगिकी (IT) आउटसोर्सिंग उद्योग के शीर्ष क्रम में यह पहला बदलाव देखा गया है.
नोएडा स्थित HCL टेक्नोलॉजीज ने घोषणा की है कि 30 जून को समाप्त तिमाही में इसका पिछले तीन महीनों का डॉलर राजस्व 0.8% बढ़कर 2.05 अरब डॉलर हो गया है. बेंगलुरू स्थित विप्रो का डॉलर राजस्व पहली तिमाही में 1.7% बढ़कर 2.03 अरब डॉलर है.
जानकारी के लिए बता दें कि बीते वर्ष विप्रो का पूरे साल का रेवेन्यू 8.06 बिलियन डॉलर रहा था जो कि एचसीएल टेक्नोलॉजी से करीब 220 मिलियन डॉलर ज्यादा था। उस समय एचसीएल का रेवेन्यू 7.84 बिलियन डॉलर था। बीते तीन वर्षों में एचसीएल ने कंपनियों के अधिग्रहण और कंपनियों से बौद्धिक संपदा के लाइसेंस के लिए 2.1 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। वहीं विप्रो ने बीते तीन सालों में कंपनियों के अधिग्रहण और विप्रो वेंचर्स के जरिए स्टार्टअप में अल्पसंख्य हिस्सेदारी खरीदने के लिए 1.3 बिलियन डॉलर खर्च किये हैं।
एचसीएल के नतीजें:
चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में कंपनी का मुनाफा 7.9 फीसद बढ़कर 2,403 करोड़ रुपये हो गया है। जबकि बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कंपनी का मुनाफा 2,227 करोड़ रुपये रहा था। अप्रैल से जून 2019 के दौरान एचसीएल टेक की रुपये में आय 5.3 फीसद बढ़कर 13,878 करोड़ रुपये रही है जबकि बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह 13,179 करोड़ रुपये रही थी।
बता दें की विप्रो लिमिटेड, भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी थी. जिसका मुख्यालय बेंगलूर में है। इसकी स्थापना 1966 में एक व्यवसायी के पुत्र अज़ीम प्रेमजी ने किया था। आज इसकी आय कोई 350 अरब रुपये प्रतिवर्ष है और मुनाफ़ा कोई 70 अरब रुपये। यह सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की सेवा कंपनी है।
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