साइनस संक्रमण | कारण, लक्षण और उपचार – सम्पूर्ण हिंदी गाइड

साइनस संक्रमण क्या है?
साइनस संक्रमण या साइनसाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें नाक के आसपास की वायु से भरी गुहाओं (sinuses) में सूजन और संक्रमण हो जाता है। जब ये गुहाएँ बलगम से भर जाती हैं, तो बैक्टीरिया या वायरस के लिए संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
इस स्थिति में व्यक्ति को सिर दर्द, नाक बंद, चेहरे पर भारीपन और कभी-कभी बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह संक्रमण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक बना रह सकता है।
साइनस कैसे काम करता है?
साइनस संक्रमण, जिसे चिकित्सकीय भाषा में साइनसाइटिस कहा जाता है, एक आम लेकिन परेशान करने वाली स्थिति है जो नाक के चारों ओर स्थित साइनस कैविटीज़ (Sinus Cavities) में सूजन और संक्रमण के कारण होती है। यह समस्या न केवल सिरदर्द और जकड़न का कारण बनती है, बल्कि व्यक्ति की सामान्य जीवनशैली को भी प्रभावित कर सकती है। लेकिन सवाल उठता है – साइनस संक्रमण कैसे काम करता है? इस लेख में हम इसके पीछे के जैविक प्रक्रियाओं, संक्रमण के प्रकार, कारण और शरीर पर प्रभाव को विस्तार से समझेंगे।
साइनस क्या होते हैं?
साइनस हमारे चेहरे की हड्डियों के भीतर स्थित हवा से भरी खाली कैविटीज होती हैं जो निम्नलिखित भागों में पाई जाती हैं:
फ्रंटल साइनस (माथे में)
मैक्सिलरी साइनस (गाल की हड्डियों के पीछे)
एथमॉइडल साइनस (आंखों के बीच)
स्फेनॉइडल साइनस (नाक के पीछे, गहराई में)
इन साइनस का मुख्य कार्य हवा को गूंज प्रदान करना, चेहरे की हड्डियों का भार कम करना और बलगम बनाकर बैक्टीरिया व धूल के कणों को बाहर निकालना होता है।
साइनस संक्रमण की शुरुआत कैसे होती है?
सामान्य परिस्थितियों में साइनस के अंदर बनने वाला बलगम (mucus) एक छोटी नलिका के माध्यम से बहकर बाहर निकल जाता है। लेकिन जब यह नलिका अवरुद्ध हो जाती है – चाहे वो एलर्जी, ठंड, धूल, फंगल संक्रमण या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण हो – तो बलगम साइनस में इकट्ठा होने लगता है।
इस जमे हुए बलगम में बैक्टीरिया या वायरस पनपने लगते हैं, जिससे संक्रमण पैदा होता है। यह संक्रमण ही साइनसाइटिस का कारण बनता है।
साइनस संक्रमण कैसे काम करता है? (कार्य प्रणाली)
1. नाक की झिल्लियों में सूजन
जब व्यक्ति को सर्दी, एलर्जी या संक्रमण होता है, तो सबसे पहले नाक की झिल्लियां (Nasal Membranes) सूज जाती हैं। यह सूजन साइनस के खुलने वाले मार्गों को ब्लॉक कर देती है।
2. बलगम का जमाव
साइनस को हमेशा खाली और साफ रहना चाहिए, लेकिन सूजन के कारण बलगम बाहर नहीं निकल पाता। परिणामस्वरूप, साइनस की कैविटी में बलगम भर जाता है।
3. बैक्टीरिया या वायरस का विकास
जब बलगम का निकास बंद हो जाता है, तो वह एक आदर्श वातावरण बन जाता है बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के लिए। ये सूक्ष्म जीव तेजी से पनपते हैं और संक्रमण फैला देते हैं।
4. इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) इस संक्रमण से लड़ने के लिए सफेद रक्त कोशिकाएं भेजती है, जिससे साइनस की दीवारों में और अधिक सूजन व लालिमा आ जाती है। इससे सिरदर्द, आंखों के पास दर्द, बंद नाक, और भारीपन जैसे लक्षण पैदा होते हैं।
साइनस संक्रमण कितने प्रकार का होता है?
साइनस संक्रमण को मुख्यतः चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
एक्यूट साइनसाइटिस (Acute Sinusitis) – 10 दिन से 4 सप्ताह तक रहता है।
सब-एक्यूट (Subacute) – 4 से 12 सप्ताह तक।
क्रोनिक साइनसाइटिस (Chronic Sinusitis) – 12 सप्ताह से अधिक।
रिस्करिंग साइनसाइटिस – एक ही व्यक्ति को साल में कई बार साइनस संक्रमण होना।
संक्रमण की तीव्रता कैसे बढ़ती है?
यदि साइनस संक्रमण का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह:
आंखों तक फैल सकता है (ओर्बिटल सेल्युलाइटिस)
कान में संक्रमण कर सकता है
ब्रेन में फैलने की आशंका भी रहती है (बहुत ही रेयर केस में)
इसलिए लक्षण दिखते ही चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।
संक्रमण के कारण शरीर पर प्रभाव
सिरदर्द और भारीपन
बंद नाक या बहती नाक
चेहरे के किसी एक ओर दबाव महसूस होना
गंध की क्षमता कम होना
बुखार, थकान और चिड़चिड़ापन
इन लक्षणों के कारण व्यक्ति की दैनिक कार्यक्षमता प्रभावित होती है और जीवन की गुणवत्ता घट जाती है।
साइनस संक्रमण और साइनसाइटिस में अंतर
साइनस क्या है?
सबसे पहले समझते हैं कि साइनस (Sinus) होता क्या है।
साइनस हमारे चेहरे की हड्डियों के भीतर स्थित हवा से भरी कैविटीज़ होती हैं जो नाक से जुड़ी होती हैं। ये कैविटीज़ चार मुख्य भागों में होती हैं:
फ्रंटल साइनस – माथे में
मैक्सिलरी साइनस – गाल की हड्डियों में
एथमॉइडल साइनस – आंखों के बीच
स्फेनॉइडल साइनस – नाक के पीछे
इन साइनस का मुख्य कार्य है:
हवा को गर्म और नम करना
सिर के भार को संतुलित करना
ध्वनि को गुंजायमान करना
बैक्टीरिया व धूल को हटाने के लिए बलगम बनाना
साइनस संक्रमण (Sinus Infection) क्या है?
साइनस संक्रमण, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, तब होता है जब इन साइनस कैविटीज़ में संक्रमण हो जाता है — जो कि बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस के कारण हो सकता है।
यह संक्रमण बलगम के जमने, नाक के मार्ग बंद होने, या एलर्जी के कारण उत्पन्न हो सकता है। जब साइनस कैविटीज़ में बलगम इकट्ठा होकर वहां बैक्टीरिया का विकास करता है, तो संक्रमण उत्पन्न होता है। इसे आमतौर पर "साइनस इंफेक्शन" कहा जाता है।
प्रमुख लक्षण:
सिरदर्द
चेहरे में दबाव या दर्द
बंद या बहती नाक
पीला या हरा बलगम
बुखार (संक्रमण के कारण)
थकान
साइनसाइटिस (Sinusitis) क्या है?
साइनसाइटिस एक चिकित्सकीय शब्द है जिसका अर्थ है – साइनस की झिल्लियों की सूजन (inflammation)।
यह सूजन किसी भी कारण से हो सकती है:
वायरल संक्रमण (जैसे सामान्य जुकाम)
बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण
एलर्जी (जैसे परागकण, धूल)
पर्यावरणीय प्रदूषण
साइनसाइटिस संक्रमण का ही एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन हर साइनसाइटिस जरूरी नहीं कि संक्रमण के कारण ही हो। उदाहरण के लिए, एलर्जिक साइनसाइटिस में कोई बैक्टीरिया या वायरस नहीं होता, केवल सूजन होती है।
प्रकार:
एक्यूट साइनसाइटिस – 4 सप्ताह से कम
सब-एक्यूट – 4 से 12 सप्ताह
क्रोनिक साइनसाइटिस – 12 सप्ताह से अधिक
रिस्करिंग साइनसाइटिस – बार-बार होना
साइनस संक्रमण और साइनसाइटिस में अंतर
क्या दोनों एक ही हैं?
संक्षेप में कहें तो:
हर साइनस संक्रमण, एक प्रकार की साइनसाइटिस हो सकता है, लेकिन हर साइनसाइटिस जरूरी नहीं कि संक्रमण के कारण ही हो।
उदाहरण के लिए, एलर्जी से होने वाली साइनसाइटिस में कोई बैक्टीरिया नहीं होता, जबकि साइनस संक्रमण में बैक्टीरिया/वायरस पनपते हैं।
"साइनस संक्रमण" और "साइनसाइटिस" एक-दूसरे से संबंधित ज़रूर हैं लेकिन समान नहीं।
साइनस संक्रमण का मतलब है संक्रमण (जैसे बैक्टीरियल),
जबकि साइनसाइटिस का मतलब है सूजन (जो संक्रमण या एलर्जी दोनों से हो सकती है)।
सही समय पर पहचान और उपचार आवश्यक है ताकि संक्रमण न फैले और क्रोनिक समस्या में न बदले।
साइनस संक्रमण के प्रमुख कारण
1. वायरल संक्रमण (Virus Infection)
साइनस संक्रमण के सबसे सामान्य कारणों में वायरल संक्रमण आता है। सामान्य जुकाम (Common Cold) या फ्लू के दौरान वायरस नासिका मार्गों में सूजन उत्पन्न करते हैं जिससे साइनस ब्लॉक हो जाते हैं और बलगम का बहाव रुक जाता है।
➡️ उदाहरण: राइनोवायरस (Rhinovirus), इन्फ्लुएंजा वायरस आदि।
निष्कर्ष: वायरल संक्रमण से उत्पन्न साइनसाइटिस आमतौर पर 7–10 दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन गंभीर स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक होता है।
2. बैक्टीरियल संक्रमण (Bacterial Infection)
जब साइनस का वायरल संक्रमण कुछ समय तक ठीक न हो और बलगम का जमाव बना रहे, तो वहां बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। यह बैक्टीरियल साइनसाइटिस कहलाता है जो अधिक गंभीर होता है और एंटीबायोटिक उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है।
प्रमुख बैक्टीरिया:
Streptococcus pneumoniae
Haemophilus influenzae
Moraxella catarrhalis
लक्षण संकेत: नाक से पीले या हरे रंग का गाढ़ा स्राव, चेहरे में दर्द, बुखार।
3. एलर्जी (Allergies)
एलर्जिक रिएक्शन, जैसे कि धूल, पराग (pollen), धुएं या जानवरों की रूसी से साइनस मार्गों में सूजन हो सकती है जिससे साइनस संक्रमण उत्पन्न होता है।
प्रभाव:
एलर्जी के कारण नाक की झिल्ली मोटी हो जाती है जिससे बलगम बाहर नहीं निकल पाता और बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं।
➡️ उपाय: एंटीहिस्टामिन का उपयोग और एलर्जी ट्रिगर से दूरी।
4. नाक की रचना में विकृति (Structural Abnormalities)
कभी-कभी नाक के अंदर की बनावट जैसे कि नाक की हड्डी का टेढ़ापन (Deviated Nasal Septum) या नासिका पॉलीप्स (Nasal Polyps) भी साइनस के मार्ग को अवरुद्ध कर देता है जिससे बलगम का प्रवाह रुकता है और संक्रमण होने लगता है।
इलाज:
दवाओं से सूजन कम करना
आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी (जैसे FESS - Functional Endoscopic Sinus Surgery)
5. धूम्रपान और प्रदूषण (Smoking & Pollution)
सिगरेट का धुआं और वायु प्रदूषण साइनस की झिल्लियों को उत्तेजित करता है और संक्रमण को बढ़ावा देता है। धूम्रपान करने वालों में साइनस संक्रमण की संभावना अधिक पाई जाती है।
उदाहरण:
दिल्ली जैसे बड़े शहरों में सर्दियों के दौरान वायु गुणवत्ता बिगड़ने से साइनस के मामले अधिक सामने आते हैं।
6. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Weak Immune System)
जिन व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जैसे कि मधुमेह रोगी, एचआईवी मरीज या कीमोथेरेपी प्राप्त कर रहे व्यक्ति, उन्हें साइनस संक्रमण अधिक प्रभावित करता है।
सलाह:
संतुलित आहार
नियमित व्यायाम
पर्याप्त नींद से इम्यून सिस्टम मजबूत रखें।
7. जलवायु और मौसम परिवर्तन (Climate and Seasonal Changes)
ठंडी और नमी वाली जलवायु में साइनस संक्रमण के मामले बढ़ते हैं। सर्दियों के दौरान वातावरण में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं और साइनस की झिल्लियों को प्रभावित करते हैं।
➡️ बचाव:
गर्म पेय सेवन
नाक को ढकना
भाप लेना
साइनस संक्रमण के सामान्य लक्षण
इस संक्रमण के कारण व्यक्ति को अनेक प्रकार के लक्षण अनुभव होते हैं जो हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं साइनस संक्रमण के सामान्य लक्षणों के बारे में:
🤧 1. नाक बंद या जकड़ी हुई महसूस होना
साइनस संक्रमण के सबसे आम लक्षणों में से एक है नाक का बंद हो जाना। इससे सांस लेने में कठिनाई होती है और व्यक्ति को लगातार भारीपन महसूस होता है।
👉 यह लक्षण तब अधिक स्पष्ट होता है जब साइनस की झिल्लियां सूज जाती हैं, जिससे म्यूकस (बलगम) बाहर नहीं निकल पाता।
💧 2. नाक से लगातार बलगम आना
साइनस संक्रमण में अक्सर नाक से पीले या हरे रंग का गाढ़ा म्यूकस निकलता है। यह बलगम न केवल नाक से बाहर आता है बल्कि गले में भी नीचे की ओर गिर सकता है, जिसे “postnasal drip” कहा जाता है।
👉 यह लक्षण संक्रमण का स्पष्ट संकेत होता है।
😣 3. सिरदर्द और चेहरे में दर्द या दबाव
साइनसाइटिस के कारण गाल, आंखों के बीच, माथे और नाक के पुल के पास दर्द महसूस होता है। सिरदर्द आमतौर पर सुबह के समय ज्यादा होता है क्योंकि रात भर म्यूकस साइनस में इकट्ठा हो जाता है।
👉 यह दर्द तब और बढ़ सकता है जब आप सिर झुकाते हैं।
🧠 4. गंध और स्वाद की क्षमता में कमी
साइनस की सूजन के कारण व्यक्ति को गंध और स्वाद को पहचानने में परेशानी होती है। कई बार ये क्षमताएं अस्थायी रूप से पूरी तरह से बंद भी हो सकती हैं।
👉 यह भी एक बहुत सामान्य लेकिन नजरअंदाज किया गया लक्षण है।
🔁 5. लगातार खांसी और गले में खराश
Postnasal drip के कारण गले में खराश और खांसी बनी रहती है, खासकर रात के समय। कुछ लोगों को यह लक्षण लंबे समय तक बना रह सकता है, जिससे नींद भी प्रभावित होती है।
😪 6. थकान और चिड़चिड़ापन
साइनस संक्रमण के कारण शरीर थका हुआ और कमजोर महसूस करता है। नाक बंद होने और नींद पूरी न होने से चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
🌡️ 7. हल्का बुखार
हालांकि हर साइनस संक्रमण में बुखार नहीं होता, लेकिन बैक्टीरियल संक्रमण होने पर हल्का बुखार या कंपकंपी भी हो सकती है।
साइनस संक्रमण का निदान कैसे होता है?
लक्षणों का मूल्यांकन
नाक की जांच (Nasal Endoscopy)
सीटी स्कैन या एमआरआई
एलर्जी टेस्ट
साइनस फ्लूड कल्चर (जटिल मामलों में)
साइनस के प्रकार और उनकी पहचान
Frontal Sinusitis – माथे में दर्द
Maxillary Sinusitis – गालों में दर्द और दाँतों में दबाव
Ethmoid Sinusitis – आंखों के पास सूजन
Sphenoid Sinusitis – सिर के पिछले हिस्से में दर्द
साइनस संक्रमण के लिए घरेलू उपाय
साइनस संक्रमण (Sinusitis) से पीड़ित होने पर हर बार दवाइयों पर निर्भर रहना जरूरी नहीं होता। अगर संक्रमण ज्यादा गंभीर न हो, तो कुछ घरेलू उपायों से भी इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। भारत में पारंपरिक आयुर्वेद और घरेलू नुस्खे साइनस के लक्षणों को कम करने में बेहद कारगर माने जाते हैं।
यहाँ हम आपको प्राकृतिक और आजमाए हुए घरेलू उपाय बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप साइनस संक्रमण में आराम पा सकते हैं:
1. भाप लेना (Steam Inhalation)
कैसे करें:
एक बड़े बर्तन में गर्म पानी लें और उसमें 1-2 बूंद यूकेलिप्टस ऑयल या अजवाइन डालें। तौलिए से सिर ढककर भाप लें।
👉 फायदे:
नाक की रुकावट खोलता है
बलगम को पतला करता है
साइनस की सूजन में राहत देता है
🕒 दिन में 2 बार भाप लेना फायदेमंद रहता है।
2. गर्म पानी से सेक (Warm Compress)
कैसे करें:
गर्म पानी में तौलिया भिगोकर नाक और आंखों के आस-पास रखें।
👉 फायदे:
चेहरे के दबाव को कम करता है
साइनस मार्ग को खोलने में मदद करता है
🕒 दिन में 2-3 बार यह उपाय करें।
3. सादा नमक और गुनगुना पानी से नेजल वॉश (Saline Nasal Rinse)
कैसे करें:
1 चुटकी नमक और चुटकी भर बेकिंग सोडा को एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाएं और नेटी पॉट की मदद से नाक को साफ करें।
👉 फायदे:
एलर्जी या धूल से जमा म्यूकस हटाता है
नाक के मार्ग को साफ करता है
संक्रमण की संभावना को कम करता है
⚠️ ध्यान दें: हमेशा उबला और ठंडा किया हुआ पानी ही उपयोग करें।
4. हल्दी और शहद का सेवन (Turmeric & Honey)
कैसे करें:
1/2 चम्मच हल्दी में 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लें।
👉 फायदे:
हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन सूजन को कम करता है
शहद गले को आराम देता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है
🍯 यह मिश्रण रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
5. अदरक की चाय (Ginger Tea)
कैसे करें:
अदरक को पानी में उबालें, उसमें तुलसी और काली मिर्च डालें। स्वाद अनुसार शहद मिलाएं।
👉 फायदे:
गले की खराश और सिरदर्द में आराम
शरीर को गर्मी मिलती है
साइनस में जमे बलगम को निकालने में मदद करता है
☕ दिन में 2 कप अदरक की चाय पीना लाभदायक होता है।
6. हाइड्रेशन बनाए रखें (Stay Hydrated)
पर्याप्त मात्रा में पानी और गर्म तरल (जैसे सूप, हर्बल टी) का सेवन साइनस को सूखा नहीं होने देता।
👉 फायदे:
म्यूकस को पतला करता है
साइनस प्रेशर को कम करता है
🚰 रोज़ कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं।
7. सरसों का तेल और लहसुन का नुस्खा
कैसे करें:
सरसों के तेल में लहसुन को गर्म करें और गुनगुना होने पर 1-2 बूंद नाक के पास लगाएं या छाती पर मालिश करें।
👉 फायदे:
गर्माहट देता है
सूजन और जकड़न में आराम देता है
सांस लेने में आसानी होती है
8. पर्यावरण स्वच्छ रखें
घर में धूल या पालतू जानवरों के बाल न जमने दें
ह्यूमिडिफायर का प्रयोग करें
तेज गंध और धुएँ से बचें
👉 फायदे:
एलर्जी से बचाव
साइनस मार्ग में जलन नहीं होती
साइनस के लिए आयुर्वेदिक और प्राकृतिक इलाज
त्रिफला चूर्ण
नस्य कर्म – नाक में तेल डालना
शुद्ध गिलोय और तुलसी का काढ़ा
शतावरी और अश्वगंधा – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं
भस्त्रिका और अनुलोम-विलोम प्राणायाम
साइनस संक्रमण का मेडिकल इलाज
एंटीबायोटिक्स (बैक्टीरियल मामलों में)
एंटीहिस्टामिन (एलर्जी के लिए)
डिकॉन्जेस्टेंट स्प्रे
स्टेरॉयडल नेजल स्प्रे
सर्जरी (Chronic Sinusitis में) – Functional Endoscopic Sinus Surgery (FESS)
साइनस संक्रमण से बचाव कैसे करें?
मौसम बदलते समय विशेष सावधानी बरतें
ठंडे और प्रदूषित वातावरण से बचें
धूल-मिट्टी और एलर्जन से दूर रहें
नाक साफ रखने की आदत डालें
इम्यूनिटी को मजबूत करें
पानी अधिक पिएँ, शरीर हाइड्रेटेड रखें
साइनस संक्रमण से जुड़े 7 FAQs
Q1. क्या साइनस संक्रमण संक्रामक होता है?
साधारण सर्दी के कारण उत्पन्न साइनस संक्रमण वायरल हो सकता है, जो संक्रामक हो सकता है।
Q2. क्या साइनस सर्जरी स्थायी समाधान है?
क्रॉनिक मामलों में हां, लेकिन जीवनशैली और देखभाल भी आवश्यक है।
Q3. क्या एलर्जी से साइनस हो सकता है?
हां, धूल, पराग और धुएँ जैसी एलर्जी साइनस संक्रमण का कारण बन सकती हैं।
Q4. क्या बच्चों को भी साइनस संक्रमण हो सकता है?
हां, खासकर यदि बार-बार सर्दी-खांसी होती है।
Q5. साइनस के लिए कौन सी भाप सबसे असरदार है?
नीलगिरी तेल के साथ गर्म पानी की भाप सबसे उपयोगी होती है।
Q6. साइनस संक्रमण में क्या खाना चाहिए?
गुनगुना पानी, सूप, हल्दी, तुलसी, अदरक, और मसालेदार चीजें जो बलगम साफ करें।
Q7. क्या साइनस सिरदर्द का कारण बनता है?
हां, विशेष रूप से माथे, आंखों और गालों में दर्द होता है।
निष्कर्ष
साइनस संक्रमण या साइनसाइटिस एक सामान्य लेकिन असहज रोग है, जो समय पर सही इलाज से ठीक हो सकता है। इसके कारण, लक्षण, और उपचार को समझना जरूरी है ताकि हम इससे बचाव और नियंत्रण कर सकें। सही दिनचर्या, स्वच्छता, और समय पर चिकित्सकीय सलाह ही इसकी रोकथाम का सबसे प्रभावी उपाय है।
अगर आप बार-बार साइनस की समस्या से परेशान हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करने में देर न करें। घरेलू उपचारों के साथ-साथ चिकित्सा मार्गदर्शन ही पूर्ण समाधान है। अपनी सेहत को प्राथमिकता दें।
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