शिक्षक का 20 साल का संघर्ष, वेतन के लिए DIOS दफ्तर कुर्क।

बस्ती में एक शिक्षक को आखिरकार न्याय की उम्मीद जगी है, जिसने लगभग 20 वर्षों तक अपने वेतन के लिए संघर्ष किया। कोर्ट ने विभागीय उदासीनता और आदेशों की अवहेलना को देखते हुए कड़ा रुख अपनाया है। परिणामस्वरूप, शुक्रवार को जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय पर कुर्की की कार्रवाई की गई। फिलहाल डीआईओएस कार्यालय सील है और जिला न्यायालय ने आदेश दिया है कि यदि 90 दिनों के भीतर शिक्षक को 14.38 लाख रुपये का बकाया वेतन नहीं दिया जाता है, तो नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कोर्ट के इस सख्त रवैये से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।
यह मामला बस्ती के नेशनल इंटर कॉलेज हरेया से संबंधित है। पीड़ित शिक्षक, चंद्र शेखर, 1991 में मैनेजमेंट कोटे से नियुक्त हुए थे। उन्होंने 11 नवंबर 2005 को वेतन न मिलने के खिलाफ वाद दायर किया था। लगभग दो दशकों तक वे अपने अधिकारों के लिए लड़ते रहे और इस दौरान 2018 में सेवानिवृत्त भी हो गए। इस मामले में, कोर्ट ने पहले भी कई बार डीआईओएस कार्यालय को बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कुछ समय पहले, कोर्ट ने भुगतान सुनिश्चित करने के लिए डीआईओएस कार्यालय के बैंक खाते को भी सीज कर दिया था। इसके बावजूद, जब शिक्षक को उसका हक नहीं मिला, तो कोर्ट ने अंतिम और सबसे कठोर कदम उठाते हुए कुर्की का आदेश दे दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि अगले 90 दिनों के भीतर शिक्षक चंद्र शेखर का पूरा बकाया 14.38 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया जाता है, तो डीआईओएस कार्यालय की इमारत और उससे जुड़ी संपत्ति को नीलाम कर दिया जाएगा। यह एक अभूतपूर्व स्थिति है, जहाँ एक सरकारी विभाग का कार्यालय बकाया भुगतान न करने के कारण नीलामी के खतरे का सामना कर रहा है।
शुक्रवार दोपहर, न्यायालय के अमीन भारी सुरक्षा बल के साथ डीआईओएस कार्यालय पहुँचे और वहाँ कुर्की का आधिकारिक नोटिस चस्पा कर दिया। इस कार्रवाई से कार्यालय में अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारियों के बीच सन्नाटा छा गया, क्योंकि किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि बकाया भुगतान का मामला इस हद तक बढ़ जाएगा।
इस घटना ने बस्ती के शिक्षा विभाग में हलचल पैदा कर दी है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों एक शिक्षक को अपने वेतन के लिए इतने वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी? विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अब यह देखना होगा कि डीआईओएस कार्यालय और शिक्षा विभाग इस मामले में आगे क्या कदम उठाते हैं। क्या वे 90 दिनों की समय सीमा के भीतर शिक्षक को उसका बकाया भुगतान कर पाएंगे या फिर बस्ती का शिक्षा विभाग एक ऐतिहासिक नीलामी का गवाह बनेगा?
जिला विद्यालय निरीक्षक जगदीश शुक्ला ने इस बारे में कहा कि मामला उच्च न्यायालय में लंबित है, और जो भी निर्णय आएगा, उसके अनुसार शिक्षक के संबंध में आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, न्यायालय के अमीन का कहना है कि कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर डीआईओएस कार्यालय को सील कर दिया गया है।
You May Also Like

बस्ती: लालगंज पुलिस ने टॉमी हिलफिगर (Tommy Hilfiger) के नकली शर्ट बनाने वाली फैक्ट्री का किया भंडाफोड़

बस्ती में गौवंश की निर्मम हत्या, शव दफनाने से सनसनी

Volonaut Airbike: आ गई हवा में उड़ने वाली 'Airbike'
