बस्ती में बीजेपी के पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल की बढ़ीं मुश्किलें, MP-MLA कोर्ट ने बरकरार रखा फैसला

MP-MLA कोर्ट ने बरकरार रखा फैसला
Basti News: उत्तर प्रदेश स्थित बस्ती में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल को एमपी एमएलए कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई है.
22 साल पुराने एक मामले में मंगलवार, 29 अप्रैल को बीजेपी के दो पूर्व विधायक समेत दो पूर्व ब्लॉक प्रमुख 6 लोग को जेल भेज दिया गया है. एक लंबी सुनवाई के बाद हाल ही में इन सभी आरोपियों को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. अपील खारिज होने के बाद आज जब पूर्व विधायक संजय जायसवाल, पूर्व मंत्री और विधायक रहे आदित्य विक्रम सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख महेश सिंह, पूर्व प्रमुख त्र्यंबक पाठक सहित बसपा नेता इरफान और एक अन्य कोर्ट में पहुंचे तो जज प्रमोद गिरी ने सभी को कटघरे में खड़ा कर दिया और बेल खारिज करते हुए जेल भेजने का आदेश कर दिया.
सरकारी वकील देवानंद सिंह ने बताया कि चार्जशीट लगने के बाद पूरे केस की सुनवाई होती रही, गवाहों के बयान हुए, तत्कालीन एडीएम श्रीश दुबे और डीएसपी ओमप्रकाश ने कोर्ट में आकर अपना कड़ाई से पक्ष रखा. जिसके बाद सारे सुबूत और बयानों के आधार पर आज ये फैसला आया है.
ये था मामला
बस्ती जनपद की एमपी एमएलए अदालत ने वर्ष 2024 में सजा का एलान किया था और आज सजा होते ही कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद रहे नेता फैसले से सहम गए. मामला कोतवाली क्षेत्र के सदर तहसील का है. 3 दिसंबर 2003 को विधान परिषद चुनाव की मतगणना के दौरान एडीएम रहे श्रीश दुबे के साथ मारपीट हुई थी.
पूर्व विधायक संजय जायसवाल, पूर्व विधायक आदित्य विक्रम सिंह और उनकी पत्नी कंचना सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख महेश सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख त्रयंबक नाथ पाठक सहित पूर्व विधायक कमाल युसूफ के बेटे इरफान और अशोक सिंह गोलबंदी करके आए और आपस में मारपीट करने लगे. एआरओ रहे श्रीश दुबे से दोबारा मतगणना कराने की मांग की गई. आरोप के मुताबिक नेताओं ने श्रीश दुबे से हाथापाई की. तत्कालीन डीएसपी ओम प्रकाश सिंह भी मारपीट में घायल हो गए. सात आरोपियों को 3 साल की सजा सुनाई गई थी.
एडीएम रहे श्रीश दुबे की तहरीर पर बस्ती कोतवाली में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. मारपीट मामले में कुल 8 नामजद आरोपी बनाए गए थे. सुनवाई के दौरान एक आरोपी पूर्व ब्लॉक प्रमुख बृजभूषण सिंह की मौत हो गई थी. आज अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अर्पिता यादव ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुनाया. 7 आरोपियों को 3 साल की सजा सुनाई गई. इसके बाद एमपी एमएलए कोर्ट से जमानत मिल गई. जज ने सभी पर दो दो हजार का जुर्माना भी लगाया गया था. 22 साल बाद आए फैसले से आरोपियों में हड़कंप मच गया. आज हुए फैसले के खिलाफ सभी आरोपियों ने ऊपरी अदालत में अपील करने की बात कही है.
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