बस्ती में 5 वर्षीय मासूम से दरिंदगी के बाद हत्या, पुलिस छोटे बच्चों का करा रही DNA टेस्ट — ग्रामीणों और संगठनों में आक्रोश

बस्ती (उत्तर प्रदेश):
लालगंज थाना क्षेत्र के सिद्धनाथ गांव में 5 साल की मासूम बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के सनसनीखेज मामले में पुलिस की जांच कार्यशैली अब सवालों के घेरे में है। घटना को एक माह बीत चुका है, लेकिन अभी तक आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर है। अब पुलिस ने गांव के छोटे बच्चों का डीएनए सैंपल लेकर उन्हें भी जांच के दायरे में लाना शुरू कर दिया है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी और चिंता का माहौल है।
खिलौनों की उम्र में जांच का बोझ
जिस उम्र में बच्चों को किताबों और खिलौनों से दोस्ती करनी चाहिए, उस उम्र के मासूमों को अब जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। बच्ची के अपहरण के बाद उसके साथ बलात्कार और फिर निर्मम हत्या ने पूरे गांव को दहला दिया है। लेकिन इस अमानवीय घटना के बाद अब जांच की दिशा पर भी सवाल उठने लगे हैं।
7 से 12 साल के बच्चों से लिया गया DNA सैंपल
पुलिस ने जांच के तहत गांव के सात बच्चों का डीएनए टेस्ट कराया है, जिनकी उम्र केवल 7 से 12 वर्ष है। इसके अलावा 45 से अधिक ग्रामीणों के सैंपल भी लिए गए हैं। पुलिस का तर्क है कि वह हर एंगल से जांच कर रही है और वैज्ञानिक तरीकों से सच्चाई तक पहुंचना चाहती है।
ग्रामीणों का कड़ा विरोध – “बच्चों को अपराधी की तरह ना देखा जाए”
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की यह कार्यशैली बच्चों की मानसिक और सामाजिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। बच्चे अभी समझदार नहीं होते, उन्हें अपराधियों की तरह जांच प्रक्रिया में घसीटना न केवल अनुचित है, बल्कि उनके भविष्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
बाल अधिकार संगठनों ने जताई आपत्ति
मामले में अब बाल अधिकार संगठनों ने भी हस्तक्षेप किया है। संगठनों का कहना है कि किसी भी जांच प्रक्रिया को बच्चों के अधिकारों और उनकी भावनात्मक स्थिति का ध्यान रखते हुए अंजाम दिया जाना चाहिए। बच्चों को बिना ठोस आधार के जांच में घसीटना उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
पुलिस का पक्ष – "जांच निष्पक्ष, निर्दोषों को नहीं सताया जाएगा"
पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने स्पष्ट किया है कि यह जांच वैज्ञानिक तरीके से की जा रही है और इसका उद्देश्य केवल सच्चाई तक पहुंचना है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा और जांच पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ आगे बढ़ेगी।
पीड़ित परिवार की गुहार – “हमें बस न्याय चाहिए”
बच्ची के परिजन अब भी गहरे सदमे में हैं। उनका कहना है कि उन्हें केवल न्याय चाहिए और अपराधी को ऐसी सजा दी जानी चाहिए, जिससे भविष्य में कोई ऐसी दरिंदगी करने की हिम्मत न कर सके। गांव में भय और तनाव का माहौल है, लेकिन हर किसी की एक ही मांग है — न्याय।
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