Basti: दीपावली की रात बगही गांव में जमकर चले लाठी-डंडे और ईंट-पत्थर; घायलों को इलाज के लिए भटकना पड़ा

लालगंज, बस्ती। लालगंज थाना क्षेत्र के बगही गांव में दीपावली की रात पटाखा फोड़ने को लेकर दो पक्षों में हुए विवाद ने खूनी संघर्ष का रूप ले लिया। दोनों तरफ से जमकर लाठी-डंडे, ईंट-पत्थर चले, जिसमें आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए लालगंज, कलवारी, नगर और मुंडेरवा समेत चार थानों की पुलिस टीम मौके पर पहुंची और भारी मशक्कत के बाद स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार कर लालगंज थाने ले गई, जबकि दूसरे पक्ष के घायल रात भर इलाज के लिए भटकते रहे।
सोमवार रात करीब साढ़े नौ बजे दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा था, तभी पटाखा फोड़ने को लेकर दो पक्षों में विवाद शुरू हो गया। देखते ही देखते यह विवाद मारपीट में बदल गया और बगही गांव छावनी में तब्दील हो गया।
योगेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि अजीत चौधरी, चंदू, सचिन, रंजीत, संदीप और संजय समेत कुछ अन्य लोग आदित्य पाल और सच्चिदानंद पाल के घर आए थे। इसी दौरान ये लोग आदित्य पाल के घर की बाउंड्री से बाहर, योगेंद्र चौधरी के घर की तरफ पटाखों में आग लगाकर फेंकने लगे। पटाखों की आवाज से उनके घर के जानवर भागने लगे। जब योगेंद्र चौधरी ने बाउंड्री से बाहर पटाखा फेंकने से मना किया तो आरोपी भड़क गए और मां-बहन की गालियां देने लगे। इसके बाद दोनों पक्षों में लाठी-डंडे, ईंट-पत्थर चलने लगे, जिससे बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और जमकर मारपीट हुई।
ग्रामीणों ने तत्काल घटना की सूचना चौकी इंचार्ज कुदरहा महेश कुमार शर्मा को दी। हमराहियों के साथ पहुंचे चौकी इंचार्ज ने स्थिति को गंभीर देखते हुए तत्काल थाना अध्यक्ष लालगंज संजय कुमार को जानकारी दी। मामला शांत नहीं होने पर थाना अध्यक्ष संजय कुमार की सूचना पर अध्यक्ष कलवारी गजेंद्र सिंह, थाना अध्यक्ष नगर विश्व मोहन राय और थाना अध्यक्ष मुंडेरवा प्रदीप कुमार सिंह भी फोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। चार थानों की पुलिस ने लाठी भांजकर भीड़ को तितर-बितर किया और माहौल को शांत कराया। लालगंज पुलिस विवाद कर रहे छह लोगों को पूछताछ के लिए थाने ले गई।
इलाज के लिए भटकते रहे घायल
संघर्ष में घायल हुए लोगों को रात में इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ा। घायलों ने गंभीर आरोप लगाया कि त्योहार के दिन भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनहरा कुदरहा पर इमरजेंसी सुविधा नदारद रही। उनका कहना है कि वे इमरजेंसी का दरवाजा पीटते रहे, लेकिन वहां कोई स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं था। आखिरकार उन्हें मजबूरी में निजी डॉक्टर से इलाज कराना पड़ा।
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